INTRODUCTION
अरावली की सुरम्य पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अगाध अनुपम जलराशि से परिपूर्ण, झीलों की नगरी, उदयपुर की लगभग 500 वर्ष पूर्व स्थापना हुई, तत्कालीन शासकां ने ज्ञान-भक्ति और कर्म की भूमिका को जीवन-दर्शन के रुप में विकसित करने हेतु धार्मिक स्थानों, शिक्षा केन्द्रों की स्थापना कर नागरिकों को उन्नत शिक्षा एवं स्वास्थ्य की परिकल्पना को साकार किया।
स्वतंत्रता से पूर्व 1933 ई. में मेवाड़ रियासत के तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह जी ने संस्कृत एवं आयुर्वेद शिक्षा संवधनार्थ, स्वतंत्र रुप से आयुर्वेद महाविद्यालय की स्थापना कर, स्वनामधन्य राजवैद्य पं. लक्ष्मीनारायण जी को प्राचार्य पद पर अधिष्ठित किया। तत्पश्चात काशी हिन्दु विश्वविद्यालय, बनारस के आयुर्वेद संकाय में सेवारत, कविराज प्रतापसिंह जी को विशेषतः, उदयपुर आमंत्रित कर आयुर्वेद शिक्षा केन्द्र को विकसित किये जाने हेतु सम्मानपूर्वक प्राचार्य पद पर सुशोभित किया।
स्वतन्त्रता उपरान्त 1962 में राज्य के तत्कालीन यशस्वी मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाड़िया ने वर्तमान भवन का शिलान्यास कर स्वयं के ही कर कमलो से 23 जनवरी 1967 को वर्तमान भवन का लोकार्पण करते हुये महाविद्यालय का नामकरण महामना प. मदन मोहन मालवीय जी के नाम पर समर्पित करते हुये महाविद्यालय को गौरवमयी पहचान प्रदान की। वर्तमान में राजस्थान सरकार द्वारा संचालित एकमात्र राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, उदयपुर में स्थित है। यह भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् नई दिल्ली एवं आयुष विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त है, तथा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर से सम्बद्ध है। महाविद्यालय में स्नातक स्तरीय आयुर्वेदाचार्य पाठ्यक्रम हेतु 60 स्थानों तथा स्नातकोत्तर स्तरीय छः (06) विषयों द्रव्यगुण, कायचिकित्सा, रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना, शल्य तंत्र, क्रिया शारीर एवं रचना शारीर हेतु 05-05 स्थानों पर प्रवेश की अर्न्तग्रहण क्षमता है।
महाविद्यालय के अधीन सीसीआईएम के मानकों के अनुसार सम्पूर्ण साधन एवं अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित, तीन चिकित्सालय, रा.प्रे.श.श. चिकित्सालय-महाविद्यालयीय परिसर(55 शैय्या), अ श्रेणी चिकित्सालय -मोतीचौहट्टा (100 शैय्या), अनुसंधान केन्द्र-लेक पैलेस रोड़(20 शैय्या), उदयपुर में संचालित है। उक्त चिकित्सालयों में कायचिकित्सा, पंचकर्म, रोगनिदान, शल्य, शालाक्य, प्रसूति तंत्र, कौमार भृत्य विषयों में बहिरंग एवं अंतरंग चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है, जहां रोगियों को यथासंभव महाविद्यालयीय रसायनशाला में निर्मित औषधि एवं पाकशाला में निर्मित पथ्य निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। महाविद्यालयीय चिकित्सालय में आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशाला में एक्स-रे, ई.सी.जी. एवं रक्त, मुत्र आधुनिक यंत्रो से जांच की सुविधा उपलब्ध है। महाविद्यालयीय चिकित्सालय में मधुमेह, गृध्रसी, बालशोष, आमवात, पंचकर्म, अग्निकर्म एवं जलौकावचरण की चिकित्सा सुविधा, महाविद्यालय के विषय विशेषज्ञो द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।
महाविद्यालय में भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद्, नई दिल्ली के मानको के अनुरुप 14 विभाग पूर्णतः साधन सम्पन्न एवं कम्प्यूटरीकृत सुविधा से सुसज्जित एवं पृथक-पृथक स्थापित है। महाविद्यालयीय में स्नातक स्तर पर अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिये पृथक-पृथक चरक एवं कन्या छात्रावास एवं स्नातकोत्तर छात्रो के लिये पी.जी. छात्रावास संचालित है। शिक्षकों/स्नातकोत्तर अध्येताओं/छात्र-छात्राओं के ज्ञानार्जन हेतु महाविद्यालय परिसर में पृथक विशाल भवन में ‘‘डॉ. राजेन्द्र प्रकाश भटनागर’ पुस्तकालय स्थापित है, जिसमें आयुर्वेद एवं मॉडर्न से सम्बन्धित विषयों की 21000 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध है। महाविद्यालय में कम्प्यूटर लेब तथा महाविद्यालय परिसर वाई-फाई सुविधा से युक्त है।
महाविद्यालय से 10 किमी. दूर अम्बेरी ग्राम में सुरम्य अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य 108 बीघा भूमि में चरक उपवन स्थापित है, जहां आयुर्वेद पाठ्यक्रम के अन्तर्गत महाविद्यालय के छात्र/छात्राओं को औषध पादपों का प्रायोगिक ज्ञान कराया जाता है। चरक उपवन एवं महाविद्यालय प्रांगण में स्थित वाटिकाओं में भी विभिन्न प्रजातियों के 3500 से अधिक औषध पादप उपलब्ध है। आयुष विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा इस महाविद्यालय को वर्ष 2006 में मॉडल कॉलेज घोषित कर 05 करोड़ की राशि आवंटित की गई, उक्त राशि से वातानुकूलित भव्य ऑडिटोरियम का निर्माण (500 व्यक्तियों की बैठक क्षमता), नवीन प्राचार्य कक्ष, छः विभागों का नवनिर्माण एवं विभागों हेतु यंत्र/संयत्र/उपकरण इत्यादि क्रय कर महाविद्यालय को सुसज्जित एवं सवंर्धित किया गया है। उक्त 500 व्यक्तियों की बैठक क्षमता युक्त भव्य वातनुकूलित ऑडिटोरियम(सुश्रुत सभागार) का राष्ट्रीय/अर्न्तराष्ट्रीय सेमीनार एवं ज्ञान संवधनार्थ विषय संगोष्ठियों एवं अनुसंधान विश्लेषण तथा स्थानीय प्रशासनिक उपवेशन एवं जन सहभागिता कार्यक्रमों हेतु विशेष उपयोग हो रहा है। महाविद्यालय में 100 व्यक्तियों की बैठक क्षमता का वातानुकूलित कॉन्फ्रेंस हॉल (वाग्भट् सभागार) भी पुस्तकालय परिसर में स्थापित है, जिसमें आयुर्वेद विभाग के नवनियुक्त चिकित्साधिकारियों हेतु आमुखीकरण कार्यक्रम, अभिनवन प्रशिक्षण एवं स्नातकोत्तर अध्येताओं द्वारा विभागीय लघु संगोष्ठियों हेतु उपयोग किया जा रहा है। उक्त सुविधाओं से युक्त हमारी संस्था का परिचय कराने हेतु महाविद्यालय की नवीनतम वेबसाईट पर आप सभी का सहृदयपूर्वक स्वागत है।
(MESSAGE FROM PRINCIPAL'S DESK)
Knowing that this is only one, apex level Government Ayurvedic College of Rajasthan, imparting Higher Ayurvedic Degree courses with specific practical knowledge of treatment for diseases by expert physicians. Established in 1967, this college previously affiliated with University of Rajasthan and now is affiliated with Dr. S.R. Rajasthan Ayurved University Jodhpur.
Ayurveda an empirical science, validating through research, enlightening with fundamentals principles of Ayurveda by higher education, so I invite you all for upgrading this science and serving for humanity and mankind with getting Good Health upto eternal level. With increasing number of patients in OPD/IPD’s this faculty is conducting survey/camps for various diseases to improve Health upto poor community level also.
The vision of this Govt. institute is to be an institute par excellence for Ayurvedic science and research in india, following with challenging opportunities in this field upto global level. Following the strategic of current scenario, we are updating and directing for revalidating old concepts of Samhita texts practically, with confidence and right attitude. Also with grading in education with hard work in academic and clinical field we hope establishing this ayurvedic science at higher level within a short period. I again welcome you all to get essence of knowledge of Ayurveda in our college.